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    महेंद्रगढ़ के तिकोने मुकाबले में कांग्रेस मजबूत दिखाई दे रही है

    Rao Dan Singh - Rao Dan Singh added a new photo.

    नारनौल, 30 सितम्बर (हरियाणा न्यूज़ ब्यूरो)
    महेंद्रगढ़ में कांग्रेस को एज दिखाई दे रहा है| अहीर वोटों का विभाजन भाजपा और कांग्रेस में होगा यह तय है, लेकिन बढ़त कांग्रेस की दिख रही है| सतनाली बेल्ट में भाजपा से अधिक वोट निर्दलीय संदीप सिंह को मिल सकते हैं और कांग्रेस वहां भी बढ़त बनाती दिख रही है |
    ब्राह्मण वोट भी इस बार भाजपा की बजाय कांग्रेस और सुरेन्द्र कौशिक को ही ज्यादा जाने की संभावना है| भले ही ब्राह्मण भाजपा के कोर वोटर रहे हैं, लेकिन इस बार जो रामबिलास जी के साथ हुआ है, उसके कारण ब्राह्मणों में नाराज़गी है| वरिष्ठ भाजपा नेता रामबिलास शर्मा भले ही भाजपा उम्मीदवार की मदद करने की बात कह रहे हों, लेकिन उनके अधिकांश वर्कर बागी होकर कांग्रेस की मदद कर रहे हैं, क्योंकि रामबिलास जी की संदीप सिंह से भी नाराजगी है| इन वर्कर्स का कहना है कि बदलाव हम भी चाहते थे, लेकिन इस तरह कोई वरिष्ठ नेता को ज़लील करे यह बर्दास्त से बाहर है| इसलिए इस बार वोट उसे जो भाजपा को हराएगा |
    अनुसूचित जाति का झुकाव कांग्रेस की तरफ अधिक नज़र आ रहा है, हालांकि संदीप सिंह सेंध लगायेंगे| भाजपा का दूसरा कोर वोटर राजपूत भी भाजपा से बहुत खुश नहीं है| वोट कांग्रेस, भाजपा और अन्य में बटेंगे|
    नगर परिषद के चेयरमैन रमेश सैनी और उनकी टीम के कांग्रेस में आ जाने से कांग्रेस न केवल शहर में मजबूत हुई है, बल्कि सैनी वोट भी कांग्रेस को मिलेंगे इसकी सम्भावना बढ़ी है| नायब सिंह सैनी फैक्टर अब कमजोर हो गया लग रहा है| कुल मिलाकर कांग्रेस कहीं कम कहीं ज्यादा बढ़त बनाती दिख रही है|
    यहाँ यह बताना आवश्यक है कि भाजपा प्रत्याशी को लेकर भी लोगों, विशेषकर अहीरों में काफी जोश है, लोगों का कहना है कि बहुत साल बाद राव दानसिंह और प्रोफ. रामबिलास शर्मा का विकल्प मिला है, इस बार बदलाव के लिए वोट करेंगे, लेकिन वर्कर्स का अभाव, एंटी इन्कम्बंसी और रामबिलास शर्मा प्रकरण कँवर सिंह यादव की राह की सबसे बड़ी बाधाएं हैं|
    संदीप सिंह सतनाली बेल्ट में भले ही इस बार भी मजबूत हैं, लेकिन वे वहां भी कांगेस को बीट कर पायेंगे, ऐसा नहीं लग रहा | इस बार अहीरों के पास कँवर सिंह यादव दानसिंह का विकल्प है, इसलिए अहीरों के जो वोट पिछली बार संदीप सिंह को मिले थे, वे शायद न मिलें | अनुसूचित जाति के वोटों में वो सेंध ज़रूर लगायेंगे, लेकिन वे जीत दर्ज़ करने की स्थिति में फ़िलहाल नज़र नहीं आ रहे | 
     

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