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    आरती को दादा की तरह प्यार मिलेगा या चाचा की तरह नकार ?

    नारनौल, 20 सितम्बर (हरियाणा न्यूज़)

    भाजपा के वरिष्ठ नेता राव इन्द्रजीत सिंह इस बार अपनी बेटी आरती को अटेली विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिलवाने में सफल हो गये| अटेली सीट चुनने के पीछे तीन प्रमुख कारण रहे एक तो यहाँ से 1967 के बाद से कोई गैर अहीर चुनाव नहीं जीत सका है, इसलिए यह सीट अहीरों के लिए सुरक्षित मानी जाती है| दूसरे इस सीट से आरती के दादा राव बिरेन्द्र सिंह अपनी विशाल हरियाणा पार्टी से दो बार विधायक रह चुके हैं, इसलिए भी इसे राव इन्द्रजीत ने अपनी बेटी के लिए सुरक्षित मान रहे थे और तीसरा कारण अटेली हलके में अब वे गाँव भी शामिल हैं, जो पहले जाटूसाना हलके में होते थे और राव इन्द्रजीत जाटूसाना से विधायक चुने जाते थे| इसलिए राव ने सुरक्षित सीट मानते हुए यहाँ से बेटी को टिकट दिलवा दिया| वे उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी बेटी को भी, उनके पिता राव बिरेन्द्र सिंह जैसा प्यार और समर्थन इलाके से मिलेगा| 

    राव बिरेन्द्र सिंह को इलाका अपना राजा मानता था और उनका बहुत मान सम्मान करता था, जिसके चलते वे अपनी विशाल हरियाणा पार्टी के दो बार खुद यहाँ से विधायक बने और एक बार अपनी पार्टी की टिकट पर राव बंशीसिंह को चुनाव जितवाया| 

    किन्तु बाद में राव बिरेन्द्र सिंह के मझले बेटे राव अजीत सिंह ने अटेली से दो बार 1991 और 2009 में चुनाव लड़ा और दोनों बार जनता ने उन्हें हरा दिया| उनके दूसरे चुनाव के बीच ही राव बिरेन्द्र सिंह स्वर्ग सिधार गए, लेकिन इसकी सहानुभूति भी राव अजीत सिंह को चुनाव नहीं जितवा सकी| इस चुनाव में तो राव इन्द्रजीत सिंह का भी अंदरखाने अजीत सिंह को समर्थ हासिल था| लेकिन जनता ने अजीत सिंह को नकार दिया| पिछला विधानसभा चुनाव 2019 उनके बड़े बेटे अर्जुन सिंह ने लड़ा था, किन्तु उन्हें भी जनता ने नकार दिया| बाद में उनका असामयिक निधन हो गया| 

    इस प्रकार आरती के दादा को जो प्यार और समर्थन अटेली की जनता ने दिया था, वह उनके चाचा और चचेरे भाई को नहीं मिल सका| मौजूदा चुनाव में आरती का मुकाबला कांग्रेस की पूर्व विधायक अनीता यादव के साथ-साथ बसपा-इनेलो के गैर अहीर प्रत्याशी ठाकुर अतरलाल से भी है| राजपूत जाति से होने के कारण ठाकुर अतरलाल राजपूत वोटों का बड़ा हिस्सा ले जा सकते हैं, जिसका सीधा नुकसान भाजपा और आरती को होगा, क्योंकि राजपूत भाजपा का कोर वोटर रहा है| पिछली बार भी ठाकुर अतरलाल 37 हजार वोट लेकर मुख्य मुकाबले में शामिल थे| चुनाव मैदान में भाजपा, कांग्रेस और बसपा के अलावा आप और जेजेपी भी हैं, लेकिन इस बार भी यहाँ तिकोना मुकाबला ही कांग्रेस, भाजपा और बसपा में नज़र आ रहा है और चुनाव पूरी तरह फँसा हुआ है, कुछ भी हो सकता है| 

    चुनाव फँसा हुआ है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राव खेमा टिकट से वंचित रह गए दूसरी पार्टी के नेताओं को अपने पक्ष में लाने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रहा है| छोटे छोटे नेता और कार्यकर्ताओं को ऐसे महिमामंडित करके भाजपा में शामिल किया जा रहा है जैसे वे बहुत जनाधार वाले नेता हों| अब देखना दिलचस्प होगा कि त्रिकोणीय मुकाबले में लोग आरती को उनके दादा जैसा प्यार देकर विधानसभा भेजते हैं या फिर उनके चाचा की तरह नकार कर घर भेजते हैं| 

    अगर यहाँ से अनीता यादव चुनाव जीती तो वे अटेली से दो बार विधायक बनने वाली पहली महिला बन जायेंगी और ठाकुर अतरलाल की किस्मत चमकी तो वे 1967 के बाद पहले गैर अहीर विधायक होंगे|

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