अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के तत्वावधान में प्रतिष्ठित साहित्यकार राजेश प्रभाकर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केन्द्रित बहुराष्ट्रीय पत्रिका प्रज्ञान विश्वम के विशेषांक का पालम विहार स्थित रेड रोज़ेज़ पब्लिक स्कूल के वातानुकूलित सभागार में आज भव्य लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता एवं संचालन का दायित्व पत्रिका के प्रधान संपादक प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव ने निभाया। मुख्य अतिथि हरियाणा के प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं शिक्षाविद् मदन साहनी रहे। इस कार्यक्रम में जयपुर, नारनौल, फरीदाबाद, गाज़ियाबाद, नोएडा एवं दिल्ली के अनेक रचनाकारों ने प्रतिभाग किया।
उक्त आशय की जानकारी देते हुए कार्यक्रम के संयोजक राजेश 'रघुवर' ने बताया कि प्रतिष्ठित कवयित्री मधु मिश्रा ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया | पंडित सुरेश नीरव ने जहाँ राजेश प्रभाकर होने की अर्थपूर्ण व्याख्या कर उन्हें माँ सरस्वती का अनन्य साधक निरूपित किया, वहीं मुख्य अतिथि मदन साहनी ने राजेश प्रभाकर की साहित्यिक यात्रा का रोचक वर्णन प्रस्तुत कर उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। इसके पश्चात प्रतिष्ठित साहित्यकारों की उपस्थिति में पत्रिका का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम के संयोजक कवि राजेश 'रघुवर' ने माल्यार्पण कर सभी का स्वागत किया।
द्वितीय चरण में हुए कवि सम्मेलन में राजेश प्रभाकर, राजेश "रघुवर", मदन साहनी, शिल्पा वर्मा, रघुविन्द्र यादव, प्रमोद वत्स, नंदलाल न्यारा, सुशीला यादव, सीमा कौशिक 'मुक्त', उमंग सरीन, शकुन्तला मित्तल, विनय कुमार, त्रिलोक कौशिक, केडी बिंदास, सुशीला यादव, कुमार राघव, राजवीर, कृष्ण गोपाल सोलंकी, संजीव कुमार, मीनाक्षी भसीन, मोनिका शर्मा, मीना चौधरी, सुजीत कुमार, मनमोहन कृष्ण भारद्वाज, सविता स्याल, सुनील शर्मा, संजय जैन, उर्वी 'उदल', तहलका जौनपुरी आदि रचनाकारों ने कविता पाठ किया। इस अवसर पर सभा को गुरुग्राम समाचार के संपादक रमाकांत उपाध्याय ने भी संबोधित किया।
नारनौल से विशेष रूप से पधारे देश के लब्ध-प्रतिष्ठित दोहाकर रघुविन्द्र यादव ने राजेश प्रभाकर की लेखन विधा एवम् व्यक्तित्व के अनछुए पहलुओं से अवगत करवाते हुए उनकी बेबाक, सत्यनिष्ठ एवम ईमानदार छवि के बारे में विस्तार से बताया। इसके साथ ही अपने शानदार दोहे भी पढ़े। समकालीन-गीत/ग़ज़लकारों में अग्रणी प्रमोद वत्स ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया। नन्दलाल नियारा की देहाती बोली में पढ़ी गई हास्य व्यंग्य रचना को खूब सराहा गया। सभी प्रबुद्धजनों का अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति द्वारा अंगवस्त्रम्, प्रतीक चिह्न एवं माला पहनाकर सम्मान किया गया। स्वादिष्ट भोजन के साथ यह कार्यक्रम उत्साहपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ।