स्थाई रोजगार की मांग व समान काम समान वेतन तथा नए कर्मचारियों की भर्ती सहित 16 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश के ग्रामीण सफाई कर्मचारी 28 दिन से हड़ताल पर बैठे हुए हैं। सोमवार को खंड सिहमा में भी धरने की शुरुआत ओमप्रकाश की अध्यक्षता में की गई।
इस मौके पर महिपाल ने बताया की हम सबसे महत्वपूर्ण और जोखिम भरा गंदगी साफ करने का काम करते हैं। इसके बदले में हमें गुजारे लायक वेतन भी नहीं दिया जाता तथा सरकार ने सफाई कर्मचारियों के वेतन में अलग-अलग नाम देकर कटौतियां करके एक हांडी में 6 पेट बना दिए हैं। हमारा काम एक समान है, लेकिन वेतन एक समान नहीं दिया जाता व वेतन कई-कई महीने देरी से दिया जाता है हमारे सभी त्यौहार काले मनते आ रहे हैं। हमे हर साल दिवाली बोनस या कोई भी तोहफा नहीं मिलता। हर त्यौहार पर हम अपने बच्चों की आंखों में निराशा देखते हुए बहुत विचलीत हो जाते हैं। हमारा हर तरह से शोषण किया जा रहा है। सरकार हमें वोट बैंक तथा गंदगी साफ करने की मशीन से ज्यादा कुछ नहीं समझती।
जिला प्रधान बसंत कुमार ने कहा कि सफाई कर्मचारियों की सभी मांगों को जायज मानते हुए प्रदेश के सरपंच संगठन, आशा वर्कर, आंगनवाड़ी वर्कर हेल्पर, किसान यूनियन सहित तमाम संगठन हमारे समर्थन में खड़े हुए हैं। सरकार दमन की नीति को छोड़े और कर्मचारियों को भी इंसान समझते हुए हमसे वार्ता करे। हमारी समस्याओं व मांगों का समाधान करे अन्यथा यह आंदोलन और भी तेज किया जाएगा। इसका खामियाजा सरकार को 2024 में भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहां की हमारी प्रमुख मांगे विधानसभा में पॉलिसी बनाकर सफाई कर्मचारियों को पक्का करें व सभी सफाई कर्मचारियों का एक समान वेतन 26 हजार रुपए मासिक लागू करें। इसके अलावा 400 की आबादी पर एक सफाईकर्मी की नियमित भर्ती की जाए। सभी सफाई कर्मचारियों को बीडीपीओ के पैरोल पर लिया जाए। एक्स ग्रेशिया नीति के तहत मृतक के परिवार से एक सदस्य को नौकरी दी जाए तथा बच्चों की पढ़ाई के लिए शिक्षा भत्ता व दिवाली पर बोनस दिया जाए। बेगार तथा शोषण से बचाने व हाजिरी रिकार्ड के लिए पढ़े लिखे सफाई कर्मचारियों को सुपरवाइजर बनाया जाए। इस धरने में कृष्ण कुमार बोयत, जिला सचिव अमित कुमार, सलाहकार ईश्वर, सीताराम, विक्की, विजय कुमार, समसु इत्यादि सफाई कर्मी उपस्थित थे।