स्वास्थ्य विभाग की ओर से बच्चों को सर्दी, खांसी, जुकाम व निमोनिया से बचाने के बारे में जागरूक करने के लिए सिविल सर्जन डा. रमेश चंद्र आर्य ने आज सांस कार्यक्रम का शुभारंभ किया। यह कार्यक्रम जिला में 29 फरवरी तक चलाया जाएगा। डा. रमेश चंद्र आर्य ने बताया कि निमोनिया फेफडों में रोगाणुओं के संक्रमण से होता है। यह एक गम्भीर बीमारी है। देश में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का ये एक बड़ा कारण है। निमोनिया ग्रसित रोगी के खांसने या छिंकने से हवा में फैलता है।
उन्होंने बताया कि निमोनिया
के बचाव के लिए बच्चों के शरीर को ढककर रखें। सर्दियों में उनी कपड़े पहनाएं, 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध पिलाएं, बच्चे का पूरा टीकाकरण
करवाएं तथा घर के अन्दर धूम्रपान से बचें।
इस मौके पर उप सिविल सर्जन
प्रतिरक्षण डा. नरेन्द्र कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम के दौरान आशा
वर्कर व एएनएम घर-घर जाकर 0 से 5 साल तक के बच्चों का सर्वे करेगी और
निमोनिया के बारे में बच्चों के अविभावकों को जागरूक किया जायेगा। यदि किसी
बच्चेे को निमोनिया के लक्षण मिलते हैं तो उसको तुरन्त स्वास्थ्य केन्द्र
पर रैफर किया जाएगा।
अर्बन नोडल अधिकारी डा. जगमोहन ने बताया कि छोटे
बच्चों में यदि निमोनिया के लक्षण शुरुआत में पता चल जाते हैं तो बच्चा
जल्दी ठीक हो जाता है और अस्पताल में भर्ती होने से बचाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि घरेलू उपचार में समय ना गवाएं। निमोनिया के लक्षण पहचान
कर बच्चों को तुरन्त स्वास्थ्य केन्द्र पर लें जाएं। इस मौके पर उप सिविल
सर्जन मलेरिया डा. रामनिवास डहिनवाल, सुनिता यादव, कंवरपाल, ऋषि कुमार व
अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।
चैन की सांस लेगा बचपन, जब आप तुरन्त पहचानें निमोनिया के लक्षण:
सिविल
सर्जन डा. रमेश चंद्र आर्य ने बताया कि बच्चों में खांसी जुकाम, तेजी से
सांस लेना तथा सांस लेते समय पसली चलना या छाती का नीचे धसना व तेज बुखार
आना, खाना पीना छोड़ देना, सुस्ती या अधिक नींद आना व झटके आना निमोनिया के
मुख्य लक्षण हेैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डाक्टर की सलाह लें ताकि
बच्चे चैन की सांस ले सकें।