आर्य समाज के विद्वान कप्तान जगराम आर्य ने कहा कि मृत्यु के बाद समाज में व्यक्ति के उन गुणों को याद किया जाता है, जो उसने नीजि हित की अपेक्षा दूसरों के लिए किये हों। डा. यादव ने शिक्षा के साथ-साथ समाज सेवा और महर्षि दयानंद की विचारधारा को आगे बढ़ाने में महत्ती भूमिका निभाई।
वे मंगलवार को विश्व प्रसिद्ध जीव वैज्ञानिक डा. जे.एस. यादव की ग्यारहवीं पुण्य तिथि के अवसर पर उनके पैतृक गांव नीरपुर में आयोजित हवन एवं श्रद्धांजलि समारोह में उपस्थित लोगों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि मनुष्य आज स्वामी दयानंद द्वारा दर्शाये गए इदन्न मम को अपनाएं तो समाज टूटने की अपेक्षा जुड़ेगा तथा उसमें जातिय भेद एवं अंहकार नहीं रहेगा।
इस अवसर पर प्रार्चाय मदन गोपाल ने कहा कि डा. यादव ने अपने जीवन में शिक्षा प्राप्ति के बाद कुरूक्षेत्र को अपनी कर्मस्थली बनाया। उनके जीवन के प्रत्येक पृष्ठ से कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है। डॉ यादव ने सामाजिक एकता को कायम रखते हुए कुरुक्षेत्र में योगेश्वर श्रीकृष्ण भवन का निर्माण करवाकर न केवल जातिय बंधनों पर कुठाराघात किया। उन्होंने कुरुक्षेत्र में 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक राव तुलाराम की प्रतिमा स्थापित कर एक एतिहासिक कार्य किया। आज युवा वर्ग एवं सभी समाजसेवियों को डा. यादव का अपना प्रेरणा-स्त्रोत मानते हुए उनकी विचारधारा को आगे बढ़ाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
पूर्व अधीक्षण अभियंता राव सुखबिंदर सिंह ने कहा कि डा.यादव कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय में पढऩे वाले दक्षिणी हरियाणा के सभी विद्यार्थियों के सरंक्षक थे। उनके आवास से लेकर फीस व खाने तक की समस्याओं का वो हमेशा ध्यान रखते थे और उनका समाधान करते थे।
राव ओमप्रकाश इंजीनियर ने कहा कि शिक्षा वह प्रकाश है जो जीवन से हर तरह के अंधेरे को दूर करता है। स्व. डा. जेएस यादव ने जीवन भर शिक्षा का प्रचार और प्रसार किया तथा बच्चों के साथ युवाओं का भी मार्गदर्शन किया। नीरपुर जैसे छोटे से गांव से निकलकर विश्व भर में विज्ञान के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाले डा. जेएस यादव के जीवन से सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए।
इस अवसर डा. यादव के सुपुत्र मेजर जनरल अरविंद यादव, डा. अतुल यादव, असीम राव, जेएस यादव की धर्मपत्नी कमला देवी, पूर्व सत्र न्यायाधीश राकेश यादव, साहित्यकार रघुविन्द्र यादव, प्रवक्ता योगेश यादव, डा. पवन यादव, कप्तान हरिसिंह, कप्तान बीरेंद्र सिंह, विष्णु सरपंच, धर्मवीर प्रधान, सुबेदार दयानंद, करतार मास्टर, लालचंद यादव, रामकुवार पंच, डा. रीता यादव व डा. सोनल यादव आदि उपस्थित थे।