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    चिकित्सा अधीक्षक ने सिविल सर्जन कार्यालय के बाहर दिया धरना

    नारनौल, 23 अगस्त (हरियाणा न्यूज़ ब्यूरो)।
    आज सिविल अस्पताल में उस समय अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई, जब चिकित्सा अधीक्षक अस्पताल के डॉक्टर और कर्मियों द्वारा बात नहीं माने जाने का आरोप लगाते हुए सिविल सर्जन कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए। उनका कहना है कि सिविल अस्पताल के स्टोर कीपर का चार्ज संभालने के लिए अस्पताल का कोई कर्मचारी तैयार नहीं है। उनके द्वारा तीन कर्मचारियों के ऑर्डर भी किए, लेकिन सबने चार्ज लेने से इंकार कर दिया। सिविल सर्जन ने उन्हें आश्वासन दिया कि एक दिन में उनकी मांगों को पूरा कर दिया जाएगा। इसके बाद चिकित्सा अधीक्षक ने धरना समाप्त कर दिया।
    चिकित्सा अधीक्षक ने अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों पर निर्देश न मानने का आरोप लगाते हुए कहा है कि जब उनकी बात ही नहीं मानी जायेगी तो वे अस्पताल को सुचारू रूप से कैसे चलाएंगे| इसके अलावा कर्मचारियों द्वारा स्टोर कीपर का चार्ज न लिया जाना भी अव्यवस्था का कारण है| कुछ समय पहले नागरिक अस्पताल के स्टोर कीपर नरेंद्र ने कमरे में ही फांसी का फंदा लगा लिया था, जिसके बाद स्टोर कीपर का पद खाली है। अब स्टोर कीपर की जिम्मेदारी लेने के लिए कोई कर्मचारी तैयार नहीं है। अभी भी स्टोर कीपर के कमरे के बाहर ताला लगा हुआ है।
    एमएस ने इस मामले में सिविल सर्जन को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा था और यह राय मांगी कि वह किन कर्मियों को लगा सकते हैं। वहीं सिविल सर्जन का कहना है कि उन द्वारा मार्गदर्शन का जवाब भेज दिया गया है, लेकिन एमएस ने ऐसा कोई पत्र मिलने से अभी इंकार किया है। गत दिनों स्टोर कीपर नरेंद्र ने अस्पताल में अपने कमरे में संदिग्ध परिस्थितियों में आत्महत्या कर ली थी। जिस कमरे में आत्महत्या की थी, वह बाहर से ताले से बंद था जबकि खिड़की खुली हुई थी। जब नरेंद्र देर रात तक नहीं आया था तो परिजन ढूंढते हुए अस्पताल पहुंचे थे। उन्हें कमरे की लाइट जलती दिखी तो खिड़की से अंदर देखा गया, जहां नरेंद्र ने आत्महत्या की हुई थी। इस घटना को हुए 14 दिन हो चुके हैं। उसके बाद से अब तक सिविल अस्पताल के एमएस ने तीन कमियों के ऑर्डर भी स्टोर कीपर के कर दिए, लेकिन कोई चार्ज लेने को तैयार नहीं है। ऐसे में अब मजबूरन एमएस को सिविल सर्जन को मार्गदर्शन के लिए पत्र लिखना पड़ा है।
    स्टोर कीपर नरेंद्र जहां बैठकर काम करता था, वहां उसके अन्य सहकर्मी भी काम करते थे। आत्महत्या के बाद उस कमरे में दोबारा कोई काम करने के लिए नहीं गया। यही नहीं जो कर्मी साथ बैठक काम करते थे, वह भी वहां से सामान उठाकर दूसरी जगह शिफ्ट हो गए।

    स्टोर कीपर के लिए तीन लोगों की ड्यूटी लगाई गई थी, लेकिन सबने मना कर दिया। इसके लिए पत्र लिखकर सीएमओ से मार्गदर्शन मांगा गया है। अब तक जवाब नहीं आया है।
    -डॉ. विजेंद्र सांगवान, एमएस, सिविल अस्पताल, नारनौल
    एमएस की तरफ से मार्गदर्शन का पत्र मिला था। वह किनकी ड्यूटी लगा सकते हैं, उसका पत्र उनको भेज दिया गया है।
    -डॉ. रमेशचंद्र आर्य, सिविल सर्जन।

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