नारनौल, 10 जुलाई (हरियाणा न्यूज़ ब्यूरो)
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम के तहत बुजुर्गों को उनकी संपत्ति को सुरक्षित रखने के अधिकार दिए गए हैं। कोई भी उनकी संपत्ति को हड़प नहीं सकता। अगर उसकी खुद की औलाद भी उनका सही तरीके से भरण-पोषण नहीं कर रही तो वे संबंधित एसडीएम को आवेदन दे सकते हैं। यह बात उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने आज लघु सचिवालय में नागरिकों की शिकायतें सुनने के दौरान गांव सेका के एक बुजुर्ग दंपत्ति की शिकायत पर कहीं। उपायुक्त ने बताया कि बुजुर्गों के अधिकार सुरक्षित रखने के लिए हरियाणा सरकार ने यह व्यवस्था की है। इस अधिनियम के तहत अगर बुजुर्गों की जमीन जायदाद लेने के बाद भी परिवार वाले उसे सही तरीके से खाना, रहने के लिए घर, कपड़े या दवाएं नहीं देते हैं तो उनकी जमीन वापस बुजुर्गों के नाम की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि एसडीएम के पास आवेदन करने के बाद उनके परिजनों को बुलाया जाएगा। इसके बाद एसडीएम की अध्यक्षता में ट्रिब्यूनल उचित फैसला कर के बुजुर्गों के हित सुरक्षित करते हैं। अगर कोई नागरिक ट्रिब्यूनल के फैसले से भी संतुष्ट नहीं है तो वह डीसी की अध्यक्षता में बने ट्रिब्यूनल अपील कर सकता है। उपायुक्त ने आम नागरिकों से आह्वान किया कि वे अपने बुजुर्गों का सम्मान करें। हमारे लिए बुजुर्ग किसी धरोहर से कम नहीं होते। जीवन भर बुजुर्गों ने हमारे लिए कार्य किया है। ऐसे में जब वे सीनियर सिटीजन की श्रेणी में आते हैं तो उन्हें हमारी देखभाल की जरूरत होती है। हम सभी नागरिकों का यह फर्ज बनता है कि अपने मां-बाप की देखभाल उचित तरीके से करें।
उपायुक्त के सामने सेका गांव के एक बुजुर्ग दंपति ने शिकायत की थी कि उसकी औलाद उसे अपने ही घर में शौचालय नहीं बनाने दे रही। वह अलग रहते हैं फिर भी उन्हें परेशान किया जा रहा है। इस पर डीसी ने उनके आवेदन को एसडीएम को मार्क करते हुए तुरंत एसडीएम नारनौल को इनकी सुनवाई करने के निर्देश दिए। डीसी ने बताया कि इससे पहले भी जिला में कई ऐसे मामले आए हैं जिनमें बुजुर्गों की यही शिकायत रहती है कि उनकी अच्छी तरह से देखभाल नहीं की जाती। ऐसे मामलों में जिला प्रशासन द्वारा तुरंत कड़ा संज्ञान लिया जाता है तथा ट्रिब्यूनल इस संबंध में जल्द से जल्द फैसला करता है।