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    योग हमारी सांस्कृतिक विरासत की पहचान है - प्रो जगवंती देशवाल

    नारनौल, 03 जुलाई (हरियाणा न्यूज़ ब्यूरो)
    हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के योग विभाग द्वारा विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। विशेषज्ञ व्याख्यान में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक में योग विज्ञान की प्रोफेसर जगवंती देशवाल विशेषज्ञ वक्ता के रूप में उपस्थित रहीं। 
    कार्यक्रम में विशेषज्ञ वक्ता प्रोफेसर जगवंती देशवाल ने योग की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए प्रतिभागियों को योग के संदर्भ ग्रंथों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया ताकि योग के संबंध में समाज में प्रचलित भ्रांतियों को दूर करने में अपना योगदान दे सकें।
    विशेषज्ञ ने अपने संबोधन में महर्षि पतंजलि का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे उन्होंने योग के ज्ञान को सूत्रों में पिरोया। इसी प्रकार विद्यार्थी जब मूल साहित्य को पढ़ता है, तो उसे अपने साहित्य की सही जानकारी होती है, जो उसकी स्वयं की भ्रांति को भी दूर करता है और समाज की भ्रांतियों को दूर करने में सहयोगी बनता है। आपकी सफलता आपके साहित्यिक ज्ञान पर आधारित नहीं है, बल्कि उसमें साहित्य ज्ञान के साथ-साथ कौशल का भी समावेश होना आवश्यक है। इसी कौशल विकास के साथ रोजगार और स्वरोजगार का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने कहा कि स्वाध्याय वह माध्यम है जो हमें न केवल सजग बनाता है। निरंतर, संतोष, तप, स्वाध्याय का पालन करते हुए अपने व्यक्तित्व का विकास करना चाहिए। स्वच्छता को अपने जीवन का अंग बनाइए, स्वयं को एक अच्छा नागरिक बनाते हुए अपने इतिहास और विरासत को पहचानिए। 
    प्रो. देशवाल ने कहा कि योग हमारी सांस्कृतिक विरासत की एक पहचान है, जिसके हम सब वाहक हैं। इस विशेषज्ञ व्याख्यान में विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नीलम सांगवान, शिक्षक प्रभारी डॉ. अजय पाल और सहायक आचार्य डॉ. नवीन के साथ-साथ विभाग के शोधार्थी प्रदीप कुमार, मोहित और रिद्धि अग्रवाल उपस्थित रहे।

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