स्थानीय रविदास मंदिर में सर्व अनुसूचित जाति संघर्ष समिति के तत्वावधान में बहुजन समाज की सभी संस्थाओं की सामूहिक रोष प्रदर्शन सभा रविदास महासभा के प्रधान बलबीर सिंह बबेरवाल की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
बैठक का संचालन करते हुए सर्व अनुसूचित जाति संघर्ष समिति के महासचिव एवं कबीर सामाजिक उत्थान संस्था दिल्ली के प्रमुख सलाहकार बिरदी चंद गोठवाल ने बताया कि बैठक में मणिपुर की शर्मनाक घटना पर सभी सामाजिक संगठनों द्वारा घोर भर्त्सना की गई और सभी संस्थाओं के हस्ताक्षर युक्त पत्र राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री गृहमंत्री व राष्ट्रीय महिला आयोग को भेज कर मांग की गई है कि मणिपुर के मुख्य मंत्री को तत्काल प्रभाव से हटाकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए, दरिंदगी करने वालों को सजा-ए-मौत दी जाए। जन-जाति/आदिवासी समाज को जीवन व संवैधानिक अधिकारों की पूरी सुरक्षा की जाए।
श्री गोठवाल ने कहा कि मणिपुर राज्य में 4 मई को मानवता को शर्मसार करने वाली घृणित, वीभत्स, हैवानियत की हदों को पार करने वाली घटना अत्यंत निंदनीय है। जिसमें दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर भारी भीड़ के सम्मुख सडक़ पर घुमाया गया, उनके गुप्तांगो को सरे आम अभद्र व अश्लील तरीके से छूआ गया और एक 21 वर्षीया नव युवती के साथ हो रहे बलात्कार को रुकवाने पर उसके भाई और पिता को उसके ही सामने मौत के घाट उतारने पर वहां के मुख्यमंत्री का यह बयान देना कि इस तरह की घटनाएं तो यहां रोज होती हैं। इससे प्रतीत होता है कि मणिपुर में कोई शासन प्रशासन नाम की चीज नहीं, अपितु जंगल राज चल रहा है। इस घटना के प्रति वहां के मुख्यमंत्री में इतनी असंवेदनशीलता है तो मानों उसकी आत्मा मर चुकी है।
हरियाणा आवाज फाउंडेशन के उपाध्यक्ष एवं पूर्व प्राचार्य डा. शिवताज सिंह ने कहा कि मणिपुर राज्य में 82 दिन से जातीय संघर्ष व हिंसा पर माननीय प्रधानमंत्री की चुप्पी व केंद्र सरकार की निष्क्रियता के फलस्वरूप घटित घटना पूरे विश्व में देश का सिर शर्म से झुका देती है। एक पिछड़ी, गरीब, नि:सहाय कूकी जनजाति का सरे आम नरसंहार हो रहा है और बेहिचक व बेखौफ उनकी बहू बेटियों के साथ बलात्कार व नंगा ताण्डव नृत्य चल रहा है।
हरियाणा प्रदेश चमार महासभा के प्रधान अनिल फाण्डन, धानक समाज के प्रधान एवं पूर्व डीजीएम महेंद्र सिंह खन्ना, महिला विंग की प्रधान आशा पूनिया, सामाजिक विकास पथ की प्रधान प्रेम यादव, प्रदेश महासचिव रोशनी देवी, कमला सूंठवाल, केला देवी, रिटायर्ड कर्मचारी संघ के प्रधान ओमप्रकाश दायमा व कुम्हार महासभा के प्रधान एवं राष्ट्रीय संगठन सचिव किशनलाल लुहानीवाल आदि ने इस दर्दनाक घटना पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि मणिपुर में आदिवासियों के घरों को जलाया जा रहा है, उनके मवेशियों को लूटा जा रहा है और उनके धार्मिक स्थलों को तोड़ा जा रहा है। यह घटनाक्रम गत 82 दिनों से निरंतर चल रहा है, परन्तु वहां डबल इंजन की सरकार के कानो पर जूं तक नही रेंग रही। इसे राज्य समर्थित नरसंहार नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे? लोग अपनी जान और जीवन बचाने के लिए तम्बू और अन्य सुरक्षित स्थानों पर रह रहे हैं और सरकार आंखे मूंद कर बैठी है।
रोष प्रदर्शन में संघर्ष समिति के प्रमुख सलाहकार शिवनारायण मोरवाल, महर्षि वाल्मीकि सभा के प्रधान जोगेंद्र जैदिया, उपाध्यक्ष राजेश चांवरिया, संघर्ष समिति के कोषाध्यक्ष प्यारेलाल चवन, कबीर सामाजिक उत्थान संस्था के सुमेर सिंह गोठवाल, खटीक सभा के प्रधान पतराम खिंची, संघर्ष समिति अटेली के प्रधान प्रभु दयाल व दयानंद सांवरिया, नांगल चौधरी के प्रधान रोहतास बबेरवाल, सिहमा खण्ड से हरि सिंह रेवाला व रामशरण रेवाला, बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर स्मारक समिति के प्रधान कैलाश जाखड़, अखिल भारतीय आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के रामकुमार ढै़णवाल, पूर्व डीएफओ बीरसिंह गोठवाल, हजारीलाल खटावला, रामभरोस, अमरनाथ सिरोहा, करतार सिंह वाल्मीकि, रामचंद्र ग्रोवर, पूर्व चीफ मैनेजर विजय सिरोहा व जयपाल सिंह, छोटे लाल भाटी, सुवालाल, रामसिंह जोईया, रामकिशन धौलेड़ा, धर्मवीर कटारिया, कमलेश, सरोज देवी, सिस्टर स्नेहा आदि अनेक सदस्य उपस्थित थे।