नारनौल, 02 जुलाई (हरियाणा न्यूज़ ब्यूरो)
सरसों की खरीद के 66 दिन बीत जाने के बाद भी फसल के पैसे किसान के खातों में नहीं आए हैं। किसान बैंकों और मार्केट कमेटी व कृषि विभाग के चक्कर लगाने का मजबूर हैं। सरकार का दावा है कि किसानों को फसल बेचने के 72 घंटे म पैसा दिया जाता है, लेकिन कुछ किसानों के खाते में अभी तक राशि नहीं आई है।
महेंद्रगढ़ के गाँव दौंगड़ा अहीर के किसान अशोक ने बताया कि उसकी सरसों हैफेड द्वारा महेंद्रगढ़ में 24 अप्रैल को खरीदी गई थी| सरसों को बेचे हुए दो महीने से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन अभी तक उनके खाते में पैसे नहीं आए हैं। अशोक कुमार ने बताया कि वो रोज अपने खाते को चैक करते हैं और मार्केट कमेटी कार्यालय के भी चक्कर लगा चुके हैं। उसने बताया कि जब मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर चेक किया तो ट्रांजैक्शन फेल दिखाया हुआ है। उसके पास 4 मई को फोन में मैसेज आता है कि आपका खाता संख्या गलत है उसको ठीक करें उसके बाद उसने मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर जाकर अपना खाता भी अपडेट कर दिया बावजूद इसके अभी तक उसके पैसे नहीं आए हैं। वहीं इस मामले में हैफेड महेंद्रगढ़ से फोन आया कि आप अपना आधार कार्ड व अकाउंट की कॉपी दे जाएं। महेंद्रगढ़ में आधार कार्ड व बैंक कॉपी जमा करवाने के बाद नारनौल से हैफेड अधिकारी से बात करने पर पता चला कि उनका अकाउंट मेरी फसल मेरा ब्यौरा में गलत दर्ज है जबकि जो अकाउंट कॉपी हफेड कार्यालय में जमा करवाई है उसमें बैंक अकाउंट का एक नंबर अलग है। इन बातों को भी लगभग 15 दिन हो गए हैं लेकिन अभी तक किसान का अकाउंट मेरी फसल मेरा ब्यौरा में वेरीफाई नहीं हो पाया है|
अशोक कुमार ने बताया कि वह कृषि विभाग नारनौल में कृषि उपनिदेशक से भी मिल चुका है कि उसका अकाउंट वेरीफाई करवाया जाए। कृषि उपनिदेशक भी इस मामले में पंचकूला ऑफिस में बात करके अकाउंट वेरीफाई करने के लिए मेल कर चुके हैं तथा फोन से भी अवगत करा चुके हैं। लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं रहा। किसान अशोक कुमार ने बताया कि शुक्रवार को भी वह कृषि विभाग नारनौल में अकाउंट वेरीफाई करवाने के लिए गया था तो वहां पर ऑफिस में संपर्क करने पर पता चला कि कृषि विभाग नारनौल के ऑफिस से तीन बार पंचकूला में मेल कर चुके हैं और शुक्रवार को भी एक रिमाइंडर डाल दिया गया है कि पीडि़त किसान का अकाउंट वेरीफाई किया जाए। उन्होंने बताया कि अकाउंट वेरीफाई का काम पंचकूला के हेड ऑफिस से होता है। लेकिन इस बीजेपी सरकार के पोर्टल के खेल में किसान उलझकर रह गए हैं। किसान ने बताया कि पैसे नहीं आने की वजह से ना तो वह अपने घर के कोई काम कर पा रहा है तथा किसान क्रेडिट कार्ड के पैसे भी जमा करवाने थे लेकिन राशि नहीं मिलने के कारण वह अपना केसीसी व कोऑपरेटिव सोसायटी का अपना लेनदेन का कार्य भी नहीं कर पाया है।