• Breaking News

    माँ बाप को नहीं मिल रहे सरकारी नौकरी वाले राजकुमार, 30-35 साल तक की लडकियाँ कुँवारी

    गुरुग्राम, 14 जुलाई (हरियाणा न्यूज़ ब्यूरो)|
    लड़कियों की शिक्षा को लेकर सोच में भले ही बदलाव आया हो, उनकी शादी को लेकर माँ-बाप का वही पुराना रवैया बरक़रार है| जिसके चलते 30-35 साल तक की उच्च शिक्षित और प्रोफेशनल लडकियाँ भी कुँवारी बैठी हैं| विभिन्न मेट्रीमोनियल ग्रुप्स में आये प्रोफाइल्स के आधार पर कई चौकाने वाली बातें सामने आई हैं|
    पहली पसंद सरकारी नौकरी
    एक तरफ सरकारी नौकरियां दिन प्रतिदिन घटती जा रही हैं, वहीँ दूसरी ओर लड़की की शादी के लिए आज भी 80-90 प्रतिशत माँ-बाप की पहली प्राथमिकता सरकारी नौकरी है, भले ही वह ग्रुप डी, पुलिस कांस्टेबल अथवा लिपिक की ही हो| लेकिन सरकारी नौकरियों की घटती संख्या के चलते लोगों को उचित रिश्ते नहीं मिल रहे| उच्च शिक्षित लड़कियों के माता-पिता अपनी बेटियों के लिए सरकारी नौकर लड़कों को ही प्राथमिकता दे रहे हैं| लेकिन जो लड़के ठीक-ठाक सरकारी नौकरी लग जाते हैं, वे भी फिर सरकारी नौकरी कर रही लड़की को ही प्राथमिकता देते हैं| इसलिए न केवल बड़ी उम्र के लड़के अविवाहित हैं बल्कि बड़ी उम्र की लड़कियां भी बड़ी तादाद में अविवाहित हैं|
    उच्च शिक्षित और अच्छे पदों पर कार्यरत लड़कियों की औसत उम्र 30 तक
    यह तथ्य भी सामने आया है कि बड़ी उम्र की अधिकतर कुँवारी लड़कियां उच्च शिक्षित और अच्छे पदों पर कार्यरत हैं| अभिभावकों का कहना है कि उचित मैच नहीं मिल रहा| यहाँ चौंकाने वाली बात यह है कि लड़की इंजिनियर/एमबीए है, लेकिन माँ-बाप को उसके लिए इंजिनियर/एमबीए नहीं, सरकारी नौकरी वाला पति चाहिए| दूसरी तरफ सरकारी नौकरी वाले लड़के को भी सरकारी नौकरी वाली ही लड़की चाहिए, इंजिनियर/एमबीए नहीं| इसलिए सीनियर इंजिनियर और एच आर मेनेजर के पद तक पहुँच चुकी लड़कियां और लड़के भी कुंवारे हैं| 
    एक और दिलचस्प तथ्य जो सामने आया वह यह है कि जिन लड़कियों के माता-पिता अपनी एमएससी बेटी के लिए सरकारी नौकरी वाले वर ढूंढ रहे हैं और जिन्हें अपनी बेटी के लिए इंजिनियर/एमबीए नहीं चाहिए, उनमें से लगभग 40-50 प्रतिशत के अपने लड़के इंजिनियर अथवा एमबीए हैं या इंजीनियरिंग/एमबीए कर रहे हैं|
    सर्वाधिक इंजिनियर अच्छी वधु की तलाश में
    यूं तो सरकारी नौकरी वाले अधिकारी, कर्मचारी, डॉक्टर, इंजिनियर सभी तरह के लोग उचित जीवन साथी की तलाश में हैं| लेकिन मेट्रीमोनी ग्रुप्स में उपलब्ध डाटा के अनुसार वधु की तलाश में उच्च शिक्षित और कमाने वाले सर्वाधिक भावी वर इंजिनियर हैं| 
    वर और वधु की तलाश में जहाँ लोग मेट्रीमोनी वेबसाइट्स और प्रोफेशनल लोगों का सहारा ले रहे हैं, वहीँ  फेसबुक और व्हाट्स एप्प पर भी लगभग हर जाति और क्षेत्र के निशुल्क सेवा वाले ग्रुप बने हुए हैं, उनमें भी प्रोफाइल साझा कर रहे हैं|  
    नौकरी ही नहीं ज़मीन भी देखते हैं लोग 
    मेट्रीमोनी ग्रुप चलाने वाले एस के यादव बताते हैं कि लोग सरकारी नौकरी के अलावा ज़मीन के पीछे भी दीवाने हैं | लड़का कितना कमाता है, इससे ज्यादा अहमियत इस बात को दी जाती है कि उसके हिस्से ज़मीन कितनी आती है| उन्होंने यह बताया कि लोग ज़मीन तो पूछते हैं, लेकिन साथ ही यह भी कह देते हैं कि उनकी लड़की खेत में काम नहीं करेगी और अगर कोई कहे कि काम तो करना पड़ेगा, तो फिर वहां रिश्ता नहीं करते|
    क्लास वन से क्लर्क, मगर चाहिए सरकारी 
    एक मित्र ने किसी उच्च शिक्षित और सरकारी सेवारत व्यक्ति की सरकारी नौकरी और ज़मीन के प्रति दीवानगी की कहानी सुनाते हुए बताया कि एक व्यक्ति की बेटी प्रतिभाशाली है, मेरिट में रहकर एमएससी तक की पढाई की और CSIR NET में भी देशभर में टॉप टेन में रही| देखने में भी सुंदर है, हाँ कद ज्यादा लम्बा नहीं है| व्यक्ति पैसे वाला भी है| जब बेटी ने एमएससी और नेट क्वालीफाई कर लिया तब उसने प्रथम श्रेणी की नौकरी वाले लड़के देखने शुरू किये| क्योंकि उम्मीद थी कि बेटी भी किसी यूनिवर्सिटी या कॉलेज में क्लास वन बन जायेगी| किन्तु सरकारी नौकरी वाले लड़के भी सरकारी नौकरी वाली लड़की और लम्बे कद की मांग करते मिले, किसी के पास ज़मीन नहीं मिली|  उधर तीन चार साल भर्ती नहीं निकली और लड़की की उम्र बढ़ने लगी तो पिता ने द्वितीय श्रेणी अधिकारी देखने शुरू किये, किन्तु वहां भी वही स्थिति, सब सरकारी नौकरी वाली लड़की और लम्बा कद मांगते मिले| इसी क्रम में लड़की की उम्र बढती गई और विकल्प घटने लगे, तो पिता ने तृतीय श्रेणी कर्मचारी देखने शुरू कर दिए, किन्तु सरकारी नौकरी और ज़मीन की शर्त कायम रखी| आखिर उन्होंने एक क्लर्क के साथ बेटी का विवाह कर दिया|
    लड़की वालों के नखरे ज्यादा, अधिकतर लड़के वाले बिना दहेज़ शादी के पक्ष में 
    इसे लड़कियों की कम संख्या का परिणाम मानें या लड़कियों का उच्च शिक्षित हो जाना, लेकिन यह भी तथ्य है कि अब रिश्ते में ज्यादा शर्तें लड़की के पक्ष से रखी जाने लगी हैं| एक अन्य रिश्ते करवाने वाले ने बताया कि आजकल अधिकाँश लडके वाले सुशिक्षित और सुंदर लड़की की ही मांग करते हैं और बिना दहेज़ शादी को तैयार रहते हैं| लोगों का सारा ध्यान लड़की की शिक्षा, कद और सुन्दरता तक ही सिमित रहता है| लोग यहाँ तक कह देते हैं कि परिवार गरीब भी हो तो चलेगा, लड़की अच्छी होनी चाहिए| हाँ, इक्का-दुक्का लोग अब भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से दहेज़ मांगते मिल जाते हैं| लेकिन मैं ऐसे रिश्तों से हाथ खिंच लेता हूँ|
    उन्होंने बताया कि लड़की वालों की शर्तें आजकल ज्यादा होती हैं, मसलन लड़का सरकारी नौकरी में हो, कंपनी में हो तो कम से कम 20 लाख का पैकेज हो, ज़मीन हो, शहर में प्लाट हो, परिवार न्यूक्लियर होना चाहिए, लड़की नौकरी करेगी, शादी के बाद गाँव में नहीं रहेगी, लड़की खेत का और पशुओं का काम नहीं करेगी|
    उन्होंने यह भी बताया की लड़की वाले आजकल इस बात पर भी जोर देते हैं कि लड़का कितनी दूर तक का हो| जैसे दिल्ली और गुरुग्राम वाले दिल्ली एनसीआर तक सिमित रहना चाहते हैं|
    इस कार्य में लगे लोगों का कहना है कि उनके पास 1989 से लेकर 2003 के बीच जन्म वाले लोगों के प्रोफाइल आते हैं| वर्ष 1993 से 2000 के बीच पैदा हुए लोगों के प्रोफाइल अधिक होते हैं|
    एक व्यक्ति ने ऐसा भी किस्सा सुनाया कि डीयू से बीएससी और हरियाणा की एक यूनिवर्सिटी के कैंपस से एमएससी कर चुकी लड़की के माता-पिता उसकी शादी सरकारी नौकरी वाले लड़के से करना चाहते हैं| पिता चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं| इसलिए अपनी हैसियत अनुसार पुलिस कांस्टेबल, क्लर्क और नेवी अथवा एयरफोर्स में भर्ती हो चुके लड़के देख रहे हैं| किन्तु लड़की अपने से कम शिक्षित लड़के से शादी करने को तैयार नहीं है, भले ही वह सरकारी नौकरी में हो | उसका कहना है कि मेरे बराबर योग्यता वाले बेरोजगार से ब्याह दो, मैं कमाकर खा लूंगी, लेकिन माँ-बाप तैयार नहीं हैं| 

    Local News

    State News

    Education and Jobs