रघुविन्द्र यादव
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा लगातार सरकार में शामिल सहयोगी दल जजपा के खिलाफ की जा रही बयानबाजी और पार्टी की गतिविधियों से यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या भाजपा अकेले चुनाव लड़ने और गठबंधन तोड़ने का ठीकरा जजपा पर फोड़ने की तैयारी में है ? दोनों तरफ से हो रही बयानबाज़ी से गठबंधन में दरार बढती साफ़ नज़र आ रही है|
भाजपा के प्रदेश प्रभारी ने तो बिना सहयोगी दल को विश्वास में लिए उचाना से पूर्व मंत्री चौधरी बिरेन्द्र सिंह की धर्मपत्नी प्रेमलता को एक तरह से भाजपा का प्रत्याशी ही घोषित कर दिया, जबकि यहाँ से खुद दुष्यंत चौटाला मौजूदा विधायक हैं| इससे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल यह कहकर भी जजपा को औकात बता चुके हैं कि सरकार भाजपा की है, जजपा सहयोगी दल है| यानी सरकार में जजपा की बराबर हिस्सेदारी नहीं है, वह केवल सहायक की भूमिका में है| इतना ही नहीं भाजपा का पूरा फोकस उन जिलों और सीटों पर है, जहाँ वर्तमान में जजपा कुछ मजबूत है| इसी रणनीति का परिणाम है कि विप्लब देब ने पहला कार्यक्रम उचाना में रखा, जहाँ से दुष्यंत विधायक हैं| उधर पार्टी गृह मंत्री अमित शाह की पहली ही जनसभा सिरसा में करवाने जा रही है, जिसे दुष्यंत परिवार का गढ़ माना जाता है| भाजपा की मुहीम से ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी गढ़बंधन में चुनाव लड़ने की इच्छुक नहीं है| भाजपा की रणनीति गठबंधन तोड़ने और उसका ठीकरा जजपा के सिर फोड़ने की दिखाई दे रही है|
भाजपा के प्रदेश प्रभारी विप्लव देब का आज का बयान भी पूरी तरह दोनों दलों में दूरियाँ बढाने वाला है| जिसमें उन्होंने कहा है कि जजपा ने समर्थन देकर कोई अहसान नहीं किया, भाजपा ने उन्हें मंत्री भी बनाया है| कल दुष्यंत चौटाला ने भी भाजपा के प्रदेश प्रभारी विप्लव देब द्वारा उचाना से प्रेम लता को प्रत्याशी घोषित किये जाने पर तल्ख़ लहजे में कहा था कि वे उचाना से ही चुनाव लड़ेंगे, किसी के पेट में दर्द है तो दवाई नहीं दे सकता|
फिलहाल गठबंधन सरकार भले ही बिना खींचतान के चल रही हो, मगर आगामी चुनाव के लिए दोनों ही पार्टियां अब सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में तैयारी कर रही हैं| इसकी पुष्टि भी खुद दुष्यंत चौटाला कर चुके हैं| उनका यह भी कहना है कि यह बाद में तय होगा की कौन कहाँ से लडेगा| लेकिन भाजपा के नेताओं की तैयारी और बयान बता रहे हैं कि कौन कहाँ से लडेगा इसे तय करने की नौबत ही नहीं आएगी| भाजपा की पूरी कवायद जजपा को कमजोर करने और उसे खुद ही गढ़बंधन तोड़ने पर विवश करने की नज़र आ रही है| भाजपा की मुहीम से ऐसा लगता है कि वह गठबंधन तोड़ने का ठीकरा भी जजपा पर ही फोड़ना चाहती है|
दोनों पार्टियों में जो भी बयानबाजी हो रही है, अब वह निचले स्तर पर नहीं हो रही, बल्कि उच्च स्तर पर हो रही है| एक पार्टी के प्रदेश प्रभारी और दूसरे के विधायक दल के नेता एक दूसरे पर तल्ख़ टिप्पणी कर रहे हैं, इसलिए इसे हलके में नहीं लिया जा सकता| प्रदेश प्रभारी ने आज यह भी कह दिया कि सरकार अभी चल रही है और उन्हें निर्दलियों का भी समर्थन है| उन्होंने कहा है कि न मेरे पेट में दर्द है और न मैं डॉक्टर हूँ| मेरा काम अपनी पार्टी के संगठन को मजबूत करना है|
अब देखना यह है कि जजपा नेता सरकार में हिस्सेदारी को महत्त्व देते हैं या फिर स्वाभिमान के लिए सरकार से बाहर होकर अपने दम पर चुनाव लड़ने का जोखिम उठाते हैं|