नारनौल, 02 जून (हरियाणा न्यूज़ ब्यूरो)
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र ढाडा ने कहा कि मौजूदा सरकार सरकारी स्कूलों को खत्म करना चाहती है। यही कारण है कि प्रदेश सरकार द्वारा ऐसी योजनाएं चलाई गई हैं, जिनसे विद्यार्थियों को फायदा होने की बजाय नुकसान होने की ज्यादा संभावना है। चिराग योजना भी ऐसी ही एक योजना है, जिससे सरकारी स्कूलों को कोई लाभ नहीं होगा। वे हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ की राज्य काउंसिल शुरू होने से पूर्व पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा चलाई गई चिराग योजना से सरकारी स्कूलों को खतरा है। इस योजना से लोगों का रुझान सरकारी स्कूलों की ओर कम तथा प्राइवेट स्कूलों की तरफ ज्यादा हो गया है। उन्होंने कहा कि मॉडल स्कूल के नाम पर भी सरकार भिवानी बोर्ड को खत्म करना चाह रही है। मॉडल स्कूल केंद्रीय विद्यालय से जुड़े हुए हैं, ऐसे में बोर्ड की परीक्षा देने वाले बच्चों की फीस भिवानी बोर्ड को नहीं मिल रही। अभिभावकों का रुझान मॉडल स्कूलों की तरफ हो गया है। मॉडल स्कूलों से गरीब बच्चों को भी नुकसान है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड का परीक्षा शुल्क केवल 800 है, जबकि केंद्रीय विद्यालय का परीक्षा शुल्क 3 हजार रुपए है। ऐसे में इससे गरीब बच्चों को भी नुकसान है।
उन्होंने कहा कि बच्चों को दिए गए टैब में भी सरकार बड़ा घोटाला कर रही है। टैब के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ है। वही बच्चों को टैब दिए जाने से बच्चे भी पढऩे की बजाय दूसरी गतिविधियों में ज्यादा ध्यान रखने लग गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर टैब से ही शिक्षा दी जानी है तो ऐसे टैब दिए जाए। जिन पर केवल शिक्षा संबंधी ही प्रोग्राम खुल सकें। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के नाम पर भी सरकार बच्चों को अनपढ़ बनाना चाह रही है। नई शिक्षा नीति में पढऩे लायक कुछ भी नहीं है। इसलिए यह शिक्षा नीति लागू नहीं होनी चाहिए। इस मौके पर अनेक अध्यापक उपस्थित थे।